माता अमृतानंदमयी और होली हेल के झूठे सच का पर्दाफाश

गेल ट्रेडवेल की कपटपूर्ण ग़लतबयानी – शुभामृता

गेल ट्रेडवेल और उसके समर्थकों द्वारा फैलाये जा रहे झूठ और मनगढ़ंत कहानियों के चलते, आज मैं यह पत्र लिखने को विवश हुआ हूँ … इससे पहले कि मैं सारा ब्यौरा आपके सामने रखूं, मैं आपको यह बता दूँ कि एक अनुवादक होने के नाते गोपनीयता रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। परन्तु अम्मा तथा अम्मा की संस्था के विरुद्ध गेल द्वारा छेड़े गए अधर्मयुक्त अभियान ने मुझे विवश कर दिया है … आगे पढ़िए

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गेल सारी दुनिया के सामने झूठ बोल रही है – कुसुम

उसने मुझे बताया कि जब वह पर्थ में सेक्रेटरी की नौकरी कर रही थी तो वो अपने साथ की महिलाओं के साथ एक खेल में थी जिसे उन्होंने, “कैच दा टाइगर बाई टेल” का नाम दिया हुआ था। यह खेल कुछ इस तरह था: रोज़ रात को किसी नए पुरुष के साथ हमबिस्तर होने जाओ और जो लड़की हफ्ते भर में सबसे अधिक पुरुषों के साथ सोएगी, वो उस हफ्ते जीतेगी। … अब जब मैंने गेल की किताब पढ़ी तो मैं हक्की-बक्की रह गई यह पढ़ कर कि मैंने उसका कुछ निजी सामान जैसे, लैपटॉप, स्लीपिंग-बैग, कुछ गरम कपड़े, दो-तीन शैम्पू और कंडीशनर की बोतलें, एक जोड़ी चादर, तौलिये और रज़ाई और थोड़े से पैसे छिपा कर ले जाने और इस तरह उसकी वहाँ से ‘भागने’ में मदद की थी। … न तो मैं उसकी ‘भाग निकलने’ की योजना का हिस्सा थी और न ही उसकी किताब में दी हुई सूची का सामान मैंने कहीं पहुँचाया था। … आगे पढ़िए

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गेल के दावे और अफवाएं सरासर झूठ हैं – लक्ष्मी

क्या यह सरासर झूठ नहीं कि आश्रम में कोई तुम्हें प्यार नहीं करता था, कोई तुम्हारा साथ देने वाला नहीं था.…आदि-आदि? सच तो यह है कि विदेशी और भारतीय मूल के सभी आश्रमवासी तुम्हें पलकों पर बिठाते थे। यहाँ तक कि भक्त लोग तुम्हारी पाद-पूजा तक किया करते थे, क्या सच नहीं? भारतीय आश्रमवासी तुम्हारे लिए भारतीय भोजन और विदेशी भक्त विदेशी व्यंजन ले कर नहीं आते थे? लोग तुम्हारे कपडे नहीं धोते थे? तुम्हारी मालिश नहीं करते थे? अपनी अन्तरात्मा की आवाज़ को दबा कर तुम कह सकती हो कि यह सब झूठ है? … आगे पढ़िए

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क्यूँ गढ़ रही है गेल कहानियां ? – अर्पणा

मैं अर्पणा हूँ। पेशे से मैं एक लाइसेंस्ड अटॉर्नी हूँ और 1992 से अम्मा की भक्त हूँ। जब गेल ट्रेडवेल ने अम्मा का आश्रम छोड़ा, उस समय मैं हवाई में रह रही थी। … आश्रम छोड़ने के बाद, उस एक साल में गेल ने कभी एक बार भी उस अन्याय, हिसा-अत्याचार के आरोपों का ज़िक्र तक नहीं किया जिनसे आज उसकी पुस्तक भरी पड़ी है! हमारी उस महिला मित्र-मण्डली में भी कभी उस यौन-उत्पीड़न की बात नहीं उठी जिसकी कहानी आज वो चौदह वर्षों बाद अपनी पुस्तक के माध्यम से दुनियां को सुना रही है! … आगे पढ़िए

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निराशा और हताशा से जन्मे बेबुनियाद आरोप – कुसुम

यद्यपि मैं उसके बारे में कुछ बुरा नहीं कहना चाहती, फिर भी मैं उस भूली-बिसरी असफ़ल संन्यासिन, जिसने अपना इरादा बदल कर संन्यास का त्याग कर दिया, से इस सब के पीछे छिपे उद्देश्य पर प्रश्न अवश्य करना चाहूंगी! सच कहूं तो, अम्मा के साथ अंतिम वर्षों में उसे किसी भक्त-विशेष से इश्क़ हो गया था जिसने उसे ठुकरा दिया क्योंकि वो कोई बखेड़ा खड़ा करना नहीं चाहता था। … ऐसे किसी प्रभाव में आ कर मैं अपना जीवन बर्बाद नहीं करना चाहती और बाकी लोगों को भी यही सुझाव दूँगी कि इन बेबुनियाद आरोपों पर ध्यान दे कर अम्मा से अपने अमूल्य सम्बन्ध का विच्छेद करने से पहले तोल-मोल लें। … आगे पढ़िए

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उसकी इस घटिया हरकत ने हमारे सम्बन्धों में कड़वाहट घोल दी है – रजिता

गेल की कहानी का आरम्भ तो बड़ा सुन्दर था लेकिन फिर धीरे-धीरे उसमें घुमाव आ गया और वह अपनी विकृत भावुक अवस्था के चश्मे से दुनियाँ को देखने लगी। खेद!कि आज उसकी इस घटिया हरकत ने हमारे इतने वर्षों के सम्बन्धों में कड़वाहट घोल दी है। मुझे सचमुच बहुत दुःख होता है कि जिसे मैं अपनी सगी बहन की तरह प्यार करती थी और जिसके साथ इतने खूबसूरत पल मैंने बिताये, आज उसने अपनी कैसी दुर्दशा कर ली है … आगे पढ़िए

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गेल ट्रेड्वेल द्वारा लगाये आरोप असत्य – भक्तों का वक्तव्य

सच यह है कि गेल उसके अनुचित व्यवहार के कारण नहीं बल्कि अपनी व्यक्तिगत वासनाओं की पूर्ति हेतु उसने आश्रम छोडा था, जो कि एक सन्यासिन होने के नाते आश्रम में नहीं हो सकता था। सन्यासिन होते हुए गेल ने एक अमरीकी से शादी का प्रस्ताव रखा था। आज उसकी शादी के और आगे चल के तलाक के सभी सबूत खुले आम उपलब्ध हैं। गेल की पुस्तक के प्रथमिक वर्णनों में भी काल्पनिकता है, क्योंकि इस घटना से जुडे हुए लोग आगे आये हैं और बताते हैं कि जो कुछ इन पृष्ठों में बताया गया है, ऐसा कभी हुआ ही नहीं है।… आगे पढ़िए

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