गेल ट्रेडवेल की कपटपूर्ण ग़लतबयानी – शुभामृता

Posted: 2014/03/03 in hindi

अम्मा के आश्रम के एक वरिष्ठ ब्रह्मचारी तथा अम्मा के मुख्य अनुवादक ब्रह्मचारी शुभामृत द्वारा लिखा गया एक ई-मेल इस प्रकार है,

मैं, शुभामृत, सन 1989 से अम्मा के आश्रम का निवासी हूँ। अम्मा तथा उनकी संस्था को ले कर गेल ट्रेडवेल और उसके समर्थकों द्वारा फैलाये जा रहे झूठ और मनगढ़ंत कहानियों के चलते, आज मैं यह पत्र लिखने को विवश हुआ हूँ।

संन्यास मार्ग सदा से कोई आम मार्ग नहीं रहा क्योंकि इस पर चलना हरेक के बस की बात नहीं होती। इस तथ्य को मद्दे-नज़र रखते हुए, मैं कह सकता हूँ कि अपनी सांसारिक वासनाओं व महत्वाकांक्षाओं को इस मार्ग से च्युत हो जाने का कारण स्वीकार करने की बजाय, गेल अपने संन्यासी-जीवन को ठोकर लगाने के निर्णय का ठीकरा आज अम्मा तथा उनकी संस्था पर फ़ोड़ रही है।

मेरी दृष्टि में, अपनी सांसारिक वासनाओं व महत्वाकांक्षाओं को इस मार्ग से च्युत हो जाने का कारण स्वीकार करने की बजाय, गेल अपने संन्यासी-जीवन को ठोकर लगाने के निर्णय का ठीकरा आज अम्मा तथा उनकी संस्था पर फ़ोड़ रही है।

अम्मा का अनुवादक होने का सौभाग्य प्राप्त कर, मैं अति धन्य अनुभव करता हूँ और यही एक कारण है कि अम्मा के जीवन को क़रीब से देखने का भी मुझे सौभाग्य प्राप्त होता रहा है। यहाँ सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि पिछले 24 वर्षों के अम्मा के पावन सान्निध्य में रहते हुए, गेल के अपनी पुस्तक में अम्मा पर लगाये अन्याय के आरोपों का एक भी प्रमाण, मैंने नहीं पाया।

यहाँ मुझे ज़रूरी लगता है कि मैं आपके साथ एक ऐसी घटना साँझा करूँ जो गेल के आश्रम छोड़ने के तुरन्त पश्चात् घटी थी। एक अमेरिकन भक्त, एक अन्य ब्रह्मचारी तथा मैं अम्मा से मिलने गये थे तो बातचीत के दौरान इस भक्त ने अम्मा के सामने यह रहस्य प्रकट किया। मैं अनुवादक था। इससे पहले कि मैं सारा ब्यौरा आपके सामने रखूं, मैं आपको यह बता दूँ कि एक अनुवादक होने के नाते गोपनीयता रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। परन्तु अम्मा तथा अम्मा की संस्था के विरुद्ध गेल द्वारा छेड़े गए अधर्मयुक्त अभियान ने मुझे विवश कर दिया है कि मैं भक्त का नाम गोपनीय रखते हुए, शेष घटना आपके सामने रखूं।

इस व्यक्ति ने मुझे बताया कि 1994 में गेल ने उसमें रुचि लेना शुरू किया और खुल्लमखुल्ला उसके साथ रहने की इच्छा प्रकट की और यात्रा के दौरान वह उससे अक्सर बतियाने आ जाती या अमृतपुरी से फ़ोन किया करती थी। पहले-पहल उसे गेल के इस सौहार्द में कुछ ग़लत नहीं दिखाई दिया किन्तु धीरे-धीरे उसने गेल के नज़रिये में बदलाव देखा तो उसे चिन्ता होने लगी कि वह उस पर भावनात्मक रूप से आश्रित होती जा रही थी और जल्द ही गेल ने खुल कर अपने इश्क़ का इज़हार कर डाला। वह उसके साथ प्रणय-सम्बन्ध बढ़ाना चाहती थी। उसने शादी कर, शेष जीवन साथ बिताने का भी प्रस्ताव रखा। गेल की इस बेबाक़ी पर यह भक्त दंग रह गया किन्तु साहस बटोर कर उसने इतना ज़रूर कहा कि उनके बीच ऐसा सम्बन्ध असम्भव है। वह अम्मा के साथ ऐसा विश्वासघात नहीं कर सकता। उसे उसके संन्यासी-धर्म की याद दिलाने के बावजूद, गेल ने हार नहीं मानी। वह उसे फ़ोन करती रही, ई-मेल लिखती रही। उसने इस भक्त पर यहाँ तक दबाव डालना शुरू कर दिया कि वह एक फ्लैट खरीद कर रखे ताकि वो संस्था छोड़ने के बाद उसके साथ आ कर रह सके।

अगर गेल अपनी पुस्तक के माध्यम से ईमानदारी के साथ अपने जीवन के सत्य-अनुभवों को पाठकों के साथ साँझा कर रही है तो फिर यह महत्वपूर्ण घटना कैसे छूट गई? यह सरासर कपटपूर्ण ग़लतबयानी नहीं तो क्या है!

गेल के आश्रम छोड़ कर जाने और अम्मा और संस्था के बारे में झूठी अफ़वाहें फ़ैलाने के बावजूद, अम्मा ने कभी किसी के सामने इस रहस्य को प्रकट नहीं किया कि क्यों गेल सब छोड़छाड़ कर दूर चली गई क्योंकि अम्मा नहीं चाहती थीं कि गेल लोगों की नज़रों से ज़रा भी गिरे। अम्मा का यह कारुण्य-पक्ष गेल कभी न देख पाई।

अगर गेल अपनी पुस्तक के माध्यम से ईमानदारी के साथ अपने जीवन के सत्य-अनुभवों को पाठकों के साथ साँझा कर रही है तो फिर यह महत्वपूर्ण घटना कैसे छूट गई? यह सरासर कपटपूर्ण गलतबयानी नहीं तो क्या है। और यही नहीं, गेल यहाँ किसी दूसरे व्यक्ति से शादी और फिर उससे तलाक़ की बात का ज़िक्र करना भी बिल्कुल भूल गई है। यह बात मुझे हाल ही में पता लगी जोकि आश्रम छोड़ने के कुछ वर्षों पश्चात् ही घटित हुई थी।


– शुभामृता

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