गेल सारी दुनिया के सामने झूठ बोल रही है – कुसुम

Posted: 2014/03/04 in hindi

मेरा नाम ग्रेटचेन मैकग्रेगोर है, अम्मा के आश्रम में लोग मुझे ‘कुसुम’ नाम से जानते हैं। मैं सन 1983 से अम्मा के आश्रम में आती-जाती रही हूँ। मैं जब पहली बार आश्रम में रहने गई तो वहाँ मेरे और गेल समेत सिर्फ़ छः विदेशी लोग थे और कुछ भारतीय रहे होंगे। मैं इस ब्लॉग को पहले भी एक पत्र लिखा था लेकिन मुझे दूसरा पत्र लिखना आवश्यक लगा ताकि लोगों को पता लग सके कि गेल ट्रेडवेल किस तरह की महिला है!

1983 में गेल से जब मेरी पहली मुलाकात हुई तो उसने मुझे अपने बारे में बताया कि यहाँ आने से पहले वो ऑस्ट्रेलिया में किस तरह के खेल खेलती थी। उसने मुझे बताया कि जब वह पर्थ में सेक्रेटरी की नौकरी कर रही थी तो वो अपने साथ की महिलाओं के साथ एक खेल में थी जिसे उन्होंने, “कैच दा टाइगर बाई टेल” का नाम दिया हुआ था। यह खेल कुछ इस तरह था: रोज़ रात को किसी नए पुरुष के साथ हमबिस्तर होने जाओ और जो लड़की हफ्ते भर में सबसे अधिक पुरुषों के साथ सोएगी, वो उस हफ्ते जीतेगी। शायद गेल का इसी ओर इशारा है, जब वो अपनी किताब में ‘रात की पार्टियों’ की बात करती है। ये सब बातें बताते हुए गेल बड़े गर्व के साथ हंस रही थी और मैं, जो अभी गेल से पहली बार मिली थी, बहुत हैरान हुई थी। मुझे याद है, मैंने सोचा था कि बड़ी अजीब बात है कि इसने संन्यास-मार्ग चुना है और यह मार्ग इसके लिए कितना दुर्गम होगा!

यह खेल कुछ इस तरह था: रोज़ रात को किसी नए पुरुष के साथ हमबिस्तर होने जाओ और जो लड़की हफ्ते भर में सबसे अधिक पुरुषों के साथ सोएगी, वो उस हफ्ते जीतेगी। शायद गेल का इसी ओर इशारा है, जब वो अपनी किताब में ‘रात की पार्टियों’ की बात करती है। ये सब बातें बताते हुए गेल बड़े गर्व के साथ हंस रही थी और मैं, जो अभी गेल से पहली बार मिली थी, बहुत हैरान हुई थी।

नवम्बर, 1999 में, मैं अम्मा की सैन रेमॉन रिट्रीट में गई थी। मुझे गेल से मिले बरसों हो गए थे और वहाँ मैंने उसे देखा तो उसका तन सूखा सा लगा और मन चंचल। उसने मुझसे सामान्य सी बातचीत में कहा कि वो अम्मा को छोड़ने वाली है , तब मैंने उसे ऐसा न करने का सुझाव दिया ताकि कहीं वो जल्दबाज़ी में कोई ऐसा फैसला न ले ले जिसके बाद उसे पछताना पड़े क्योंकि उसने आजीवन संन्यास की दीक्षा ली थी। इस पर उसने बात बदलते हुए कहा कि नहीं, उसके कहने का मतलब है कि वो अम्मा की आज्ञा ले कर कुछ समय के लिए ‘रिट्रीट’ में जाने की बात कर रही है। इस बीच एक बार भी अम्मा या स्वामी लोगों से किसी तरह की शिकायत या किसी भी कटु अनुभव का ज़िक्र तक नहीं किया था। आज जो आरोप उसने अपनी किताब में लिखे हैं, वैसा एक शब्द भी उसके मुंह से कभी नहीं निकला था।

उस रिट्रीट में एक बार हुआ यूँ कि मैं टाउन जा रही थी और गेल ने मुझे साइन रेमोन में रहने वाली अपनी एक मित्र के यहाँ एक कम्बल छोड़ आने को कहा। उसने मुझे पता आदि बताते हुए कहा कि घर पर कोई नहीं होगा, अतः सामने के हॉल में रख कर आ जाने को कहा और मैंने वही किया।

अब जब मैंने गेल की किताब पढ़ी तो मैं हक्की-बक्की रह गई यह पढ़ कर कि मैंने उसका कुछ निजी सामान जैसे, लैपटॉप, स्लीपिंग-बैग, कुछ गरम कपड़े, दो-तीन शैम्पू और कंडीशनर की बोतलें, एक जोड़ी चादर, तौलिये और रज़ाई और थोड़े से पैसे छिपा कर ले जाने और इस तरह उसकी वहाँ से ‘भागने’ में मदद की थी। यही नहीं, वो आगे कहती है कि मैंने उसके इस सब सामान के ऊपर अपने मैले कपड़े रख कर छिपाया और यह जताया कि मानो मैं लॉन्ड्रोमैट में अपने कपड़े धोने जा रही थी, लेकिन गई वहाँ जिस घर में गेल को छिपना था!

मैं यहाँ स्पष्ट कर देना चाहती हूँ कि यह कहानी सरासर मनगढ़ंत है। पहली बात, गेल को छिप कर रहने की क्या ज़रूरत थी? क्योंकि एक महीने बाद तो गेल ख़ुशी-ख़ुशी आश्रम के वरिष्ठ सदस्यों से मिली थी, जिसके बाद वे सब लोग उसे एअरपोर्ट पर छोड़ने भी गए थे-जिससे यह साफ़ हो जाता है कि गेल कोई भगौड़ी नहीं थी और न ही उसे छिपने की कोई ज़रूरत थी।

गेल का यह आरोप सरासर गलत है कि मैं उसका सामान ले कर गई थी। मैंने उसके कहने पर सिर्फ़ एक कम्बल किसी के घर पहुँचाया था। न तो मैं उसकी ‘भाग निकलने’ की योजना का हिस्सा थी और न ही उसकी किताब में दी हुई सूची का सामान मैंने कहीं पहुँचाया था। अनजाने में यह करना असम्भव था और अपने होशो-हवास में मैंने यह किया नहीं। मुझे लॉन्ड्रोमैट में जाने का नाटक करने की कोई ज़रूरत नहीं थी और मैंने ऐसा कुछ किया भी नहीं। उसने अपनी कहानी में मुझे भूल से शामिल कर लिया हो, ऐसा विश्वास करना कठिन है। उसके अनुसार इस भागने की योजना में दो लोगों ने उसका साथ दिया था – एक मैं और एक कोई और। और उसकी कहानी में कम से कम मेरी भूमिका झूठ है।

आश्रम छोड़ने के बाद, कुछ वर्षों तक गेल मुझे साल भर में एक-दो बार फ़ोन करती थी। 2005 के करीब, एक बार उसने फ़ोन किया तो बहुत अकेली सी लगी। मैंने पूछा कि उसके जीवन में कोई ‘स्पेशल’ है क्या? इस पर गेल ने मुझे अपनी झूठमूठ की शादी के बारे में बताया। उसने उस आदमी का नाम तो नहीं बताया लेकिन इतना अवश्य कहा कि वो समलैंगिक है और उसने उससे हवाई में लम्बे समय तक रहने के लिए ही शादी की है। वर्ना ऑस्ट्रेलियाई होने के कारण उसे यू एस में इतने लम्बे समय तक रहने की अनुमति प्राप्त न होती। उसे अपने उस ‘पति’ के साथ शादी सच्ची होने का सबूत देने के लिये ‘इमीग्रेशन सर्विस’ को जब-तब इंटरव्यू देने जाना पड़ता था। उसने बताया कि इन इंटरव्यूज के लिए उन्हें रिहर्सल करनी पड़ती थी, लेकिन अभी तक कोई समस्या नहीं आई थी। अब तक वो अधिकारीयों को विश्वास देने में सफ़ल रहे थे कि उनकी शादी ढोंग नहीं थी, इसलिए अब वो इस ओर से निश्चिन्त हो गई थी।

इस पर गेल ने मुझे अपनी झूठमूठ की शादी के बारे में बताया। उसने उस आदमी का नाम तो नहीं बताया लेकिन इतना अवश्य कहा कि वो समलैंगिक है और उसने उससे हवाई में लम्बे समय तक रहने के लिए ही शादी की है। वर्ना ऑस्ट्रेलियाई होने के कारण उसे यू एस में इतने लम्बे समय तक रहने की अनुमति प्राप्त न होती। उसे अपने उस ‘पति’ के साथ शादी सच्ची होने का सबूत देने के लिये ‘इमीग्रेशन सर्विस’ को जब-तब इंटरव्यू देने जाना पड़ता था।

मुझे याद है, उस समय मुझे लगा कि यह गेल का एक और गलत फैसला है। उझे उसकी चिंता भी हुई यह सोच कर कि सिर्फ अपने मतलब के लिए उसने यू एस इमीग्रेशन सर्विस से भी झूठ बोला! फिर मुझे पता चला कि गेल ने पांच साल बाद तलाक कि अर्ज़ी दी थी। शायद वो शादी से अपना स्वार्थ पूरा कर चुकी थी। जिस गेल ट्रेडवेल को मैं जानती हूँ उसका यह रूप है-एक ऐसी औरत जिसके पास ईमानदारी नाम की कोई चीज़ नहीं, उसे जब-जब झूठ का सहारा लेना पड़े, वो लेती है। उसने मेरे सामने झूठ कहा, मेरे बारे में अपनी किताब में भी झूठ लिखा, यू एस के सरकारी अधिकारीयों से झूठ कहा और अब सारी दुनिया के सामने झूठ बोल रही है।

जिस गेल ट्रेडवेल को मैं जानती हूँ उसका यह रूप है-एक ऐसी औरत जिसके पास ईमानदारी नाम की कोई चीज़ नहीं, उसे जब-जब झूठ का सहारा लेना पड़े, वो लेती है। उसने मेरे सामने झूठ कहा, मेरे बारे में अपनी किताब में भी झूठ लिखा, यू एस के सरकारी अधिकारीयों से झूठ कहा और अब सारी दुनिया के सामने झूठ बोल रही है।


कुसुम (ग्रेटचेन मैकग्रेगोर)

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